Jay Bheem - Movie review

Movie review - Jay Bheem 2021

Initial release: 2 November 2021
Director: TJ Gnanavel
Music by: Sean Roldan
Production company: 2D Entertainment
Distributed by: Amazon Prime Video
Editor: Philomin Raj


यह फिल्म 'जय भीम' का सम्पूर्ण सारसूत्र हैं  फिल्म के आखिरी में फिल्माया गया दृश्य को देखते हुए हम अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकते  इसका अर्थ और जय भीम शीर्षक की सार्थकता सम्पूर्ण फिल्म देखने के बाद इस दृश्य के साथ ही समझ आती हैं  इस दृश्य में सिंघनी की बेटी जस्टिस चंदू के साथ स्टाइलिश अंदाज में अखबार पढ़ रही है और जस्टिस चंदू उसको पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है । यह दृश्य बाबा साहब के उस संदेश को प्रचारित करता है कि ‘शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा’ । 

यह फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित हैं  फिल्म शुरू होती हैं 90 के दशक (1995) के उस दृश्य से जहाँ कुछ लोगों की जेल से रिहाई होती हैं  भेदभाव के इस पहले दृश्य में ही जातीय घृणा से सने पुलिस वाले कैदियों को जाति पूछ कर किसी को एक लाइन खड़ा करते हैं तो किसी को घर जाने को कहते हैं  जिन लोगों को लाइन में खड़ा किया जाता हैं दरअसल उन्हें वे आदिवादी-दलित और घृणास्पद बकरे मानते हैं और उन्हें फिर से अलग-अलग IPC की डबल धाराएं लगाकर ज़बरन जेल के अंदर ठूंस दिया जाता हैं और रोते-बिलखते रह जाते हैं उनके परिजन 

निर्माता मनीष शाह और २डी एंटरटेनमेंट-गोल्डमीन्स टेलीफिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कि संयुक्त प्रस्तुति हैं ये फिल्म  प्रोड्यूसर फिल्म के मुख्य अभिनेता ज्योतिका सूर्या एवं दिग्दर्शक-पटकथा लेखक टी जे.गणनवेल हैं  मूल फिल्म तमिल भाषा में बनी हैं जिसे चार अन्य भाषाओँ में भी डब किया गया हैं I फिल्म की कहानी तमिलनाडु राज्य, जिला विल्लुपुरम, गाँव कोनामलै के एक मेहनतकश खुशहाल आदिवासी परिवार दम्पति के जीवन में पुलिसिया प्रशासन द्वारा किये गए बेइंतहा ज़ुल्मो-सितम की हैं  इस आदिम आदिवासी समुदाय की गर्भवती महिला अपने पति की तलाश करती है, जो पुलिस हिरासत से गायब है। इसलिए उनके पति को खोजने और उनके लिए न्याय की मांग करने के लिए, उनकी आवाज के रूप में, एक उच्च न्यायालय का वकील समर्थन में खड़ा होता है। क्या न्याय की उनकी लड़ाई सफल होगी? इसके लिए आपको पूरी फिल्म को आद्योपांत देखना होगा

'जय भीम' जैसे शीर्षक से फ़िल्में बनना इस बात की तस्दीक करता हैं कि मौजूदा दौर में सिनेमा में बदलाव की ज़बरदस्त बयार चली हैं खासकर टॉलीवुड में जिन क्षेत्रों में वंचित वर्ग के दरवाज़े लगभग बंद थे वहां वे अपने उपस्थिति दमदार ढंग से पेश कर रहे हैं I सोशल मिडिया और इंटरनेट की सहज उपलब्धता ने यह काम आसान कर दिया हैं I किताबों, कलाओं की भांति सिनेमा भी सामाजिक जागरण का एक सशक्त माध्यम हैं बशर्ते व्यवसायिक हितों के साथ सार्थक फिल्मों का निरंतर निर्माण होता रहे  'जय भीम' जैसी फ़िल्में सामाजिक बदलाव के सम्बन्ध में चर्चा-विचारणा के लिए सार्थक पहल हैं  इसके लिए इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक, मुख्य अभिनेता-अभिनेत्रियों के साथ पर्दे के पीछे कार्यरत समस्त टेक्निशियंस बधाई के पात्र हैं I बाकी फिल्म की पूरी कहानी का मजा आप खुद देखकर लीजिये, ढाई घंटे की यह मूवी हर भारतीय को देखनी चाहिए 

फिल्म के अंतिम फ्रेम की स्लाइड में मराठी कविता की कुछ पंक्तियाँ (आंग्ल भाषा में अनुदित) तैरती हैं जिसे देखते-पढ़ते हुए दर्शक इस फिल्म से विदा लेता हैं  -

JAI BHIM MEANS LIGHT ...

JAI BHIM MEANS LOVE ...

JAI BHIM MEANS JOURNEY

FROM DARKNESS TO LIGHT ...

JAI BHIM MEANS TEARS

OF BILLIONS OF PEOPLE !

        (MARATHI POETRY)

एक टिप्पणी भेजें

Your suggestion are very helpful please comment suggestion and your ideas
Jai bhim
आपके सुझाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है कृपया अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में व्यक्त करें जय भीम