"हाॅर्न धीरे बजाओ मेरा बहुजन समाज सो रहा है "...!!!
Bhimvarta |
उस पर एक कविता इस प्रकार है कि.....
'ब्राहम्णो के जुल्म सितम से...
फूट फूटकर 'रोया' है...!!
'धीरे' हाॅर्न बजा रे पगले....
बहुजन समाज सोया है...!!
भीम जी जाने के बाद चैन' मिला है...
'पूरी' नींद से सोने दे...!!
जगह मिले वहाँ 'साइड' ले ले...
हो शोषण तो होने दे...!!
किसे जगाने की चिंता में...
तू इतना जो 'खोया' है...!!
'धीरे' हाॅर्न बजा रे पगले ...हमारा बहुजन समाज सोया है....!!!
आरक्षण के सब 'नियम' पड़े हैं...
कब से 'बंद' किताबों में...!!
'जिम्मेदार' समाज वाले...
सारे लगे गुलामी में...!!
तू भी कर दे झूटे वादे
क्यों 'ईमान' में खोया है..??
धीरे हाॅर्न बजा रे पगले...
'बहुजन सोया है...!!!
गुलामी की इन सड़कों पर...
सभी क़दम मिला चलते हैं...!!
आवाज़ उठाने वाले मर के चलते बनते हैं
मेरे समाज की लचर विधि से...
'भला'मनुवादी का होया है...!!
धीरे हाॅर्न बजा रे पगले....
'बहुजन समाज सोया है....!!!
मेरा समाज है 'सिंह' सरीखा...
सोये तब तक सोने दे...!!
'गुलामी की इन सड़कों पर...
नित शोषण ' होने दे...!!
समाज जगाने की हठ में तू....
क्यूँ दुख में रोया है...!!
धीरे हाॅर्न बजा रे पगले..
बहुजन समाज सोया है....!!!
अगर समाज यह 'जाग' गया तो..ब्राम्हण 'सीधा' हो जाएगा....!!
आर.एस एस.वाले 'चुप' हो जाएँगे....
और मनुवादी रो जायेगा...!!
अज्ञानता से 'शर्मसार' हो ....
बाबा भीम भी रोया है..!!
धीरे हाॅर्न बजा रे पगले...
बहुजन समाज सोया है...!!!
समाज हमारा सोया है....!!!
जय भीम जय संविधान
2 टिप्पणियाँ
Best poem
ReplyJay bhim
Jai jai bheem
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Your suggestion are very helpful please comment suggestion and your ideas
Jai bhim
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