भारत वर्ष में 1931 की जनगणना के पहले की (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बाहर) जातियाँ थी। इन्ही बहिष्कृत जातियों की "सूची" तैयार की गई।
और उन्ही (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बहार ) जातियों की "सूचि" के 'आधार' पर बाबा साहेब आंबेडकर जी ब्राह्मणों के खिलाफ जाकर अंग्रेजो से लड़कर हमें "मानवीय अधिकार" दिलाने में "सफल" हुए।
तो हमें भी ये अच्छे से जान और समझ लेना चाहिए की अनुसूचित का मतलब उस दौर में (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बाहर), मतलब जो हिन्दू नहीं थी वे जातियां है। हिन्दू धर्म के स्वतंत्र वर्ण व्यवस्था से बाहर पाँचवा अघोषित वर्ण 'अतिशूद्र'।
'अनुसूचित जाति'* हमारी *संवैधानिक* पहचान है।
और आज जो कुछ लाभ हम ले रहे हैं वह सिर्फ और सिर्फ मिलता है अनुसूचित जाति के नाम पर ना कि दलित, चमार, पासी, सोनकर या वाल्मीकि आदि के नाम पर।
"अनुसूचित जाति" नाम का उद्भव के इतिहास की जानकारी होने के बावजूद भी हमारे लोग हिन्दू धर्म को पकडे़ हुए हैं।
हमेशा याद रहे की अनुसूचित का मतलंब सिर्फ और सिर्फ यही है कि "जो लोग हिन्दू धर्म में नहीं है वे लोग अनुसूचित जाति से है।"
उम्मीद है आप समझेंगे...
अब कुछ जातिया अपने आप को अनूसूचित जाति मे होने का दर्जा तो चाहती हैं।
किन्तु हिन्दु धर्म मे भी घुसे रहना चाहती हैं। उनके लिए यह पोस्ट आईना है।
जय भीम .. जय भारत ... नमो बुद्धाय..
और उन्ही (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बहार ) जातियों की "सूचि" के 'आधार' पर बाबा साहेब आंबेडकर जी ब्राह्मणों के खिलाफ जाकर अंग्रेजो से लड़कर हमें "मानवीय अधिकार" दिलाने में "सफल" हुए।
तो हमें भी ये अच्छे से जान और समझ लेना चाहिए की अनुसूचित का मतलब उस दौर में (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बाहर), मतलब जो हिन्दू नहीं थी वे जातियां है। हिन्दू धर्म के स्वतंत्र वर्ण व्यवस्था से बाहर पाँचवा अघोषित वर्ण 'अतिशूद्र'।
'अनुसूचित जाति'* हमारी *संवैधानिक* पहचान है।
और आज जो कुछ लाभ हम ले रहे हैं वह सिर्फ और सिर्फ मिलता है अनुसूचित जाति के नाम पर ना कि दलित, चमार, पासी, सोनकर या वाल्मीकि आदि के नाम पर।
"अनुसूचित जाति" नाम का उद्भव के इतिहास की जानकारी होने के बावजूद भी हमारे लोग हिन्दू धर्म को पकडे़ हुए हैं।
हमेशा याद रहे की अनुसूचित का मतलंब सिर्फ और सिर्फ यही है कि "जो लोग हिन्दू धर्म में नहीं है वे लोग अनुसूचित जाति से है।"
उम्मीद है आप समझेंगे...
अब कुछ जातिया अपने आप को अनूसूचित जाति मे होने का दर्जा तो चाहती हैं।
किन्तु हिन्दु धर्म मे भी घुसे रहना चाहती हैं। उनके लिए यह पोस्ट आईना है।
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Your suggestion are very helpful please comment suggestion and your ideas
Jai bhim
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