शिक्षा और मिडिल क्लास



मिडिल क्लास की शिक्षा क्षेत्र में चुनोत्ती

शिक्षा क्षेत्र में मिडिल क्लास बीच में फंच जाता है वो अपने बच्चो को पढ़ना तो चाहता है लेकिन जरुरते पूरी नहीं होने पर बच्चो से काम करवाना आवश्यक हो जाता है 
अच्छी स्कूल में फीस ज्यादा होने पर पास स्थित सरकारी स्कूल में भेजा जाता है वहा टीचर तो इंटेलिजेंट होते है लेकिन कभी उनकी कमी या कभी दूसरे क्षेत्रों में उनकी डयूटी, और उपर से उन स्कूलों में संसाधनों की कमी भी तो होती है।

सरकार जितना पैसा उद्योगपतियों को लोन देने में करती हैं उतना ही स्कूलों में देकर बच्चो को अच्छी शिक्षा दे सकती है वैसे भी कई उद्योगपति पैसे लेकर भाग जाते है  तो अपने देश के ही बच्चे है वो पढ़ेंगे तो आने वाले समय में उनकी तरक्की पक्की है।
कॉलेज पढ़ाई के साथ बिज़नेस की इंटर्नशिप भी करवाई जानी चाहिए जिससे उन अलग अलग क्षेत्रों के बारे में ज्ञान प्राप्त हो सके
मिडल क्लास की इन चुनौतियों को पढ़ाई ही उपर उठा सकती है
डॉक्टर आंबेडकर जी ने शिक्षा से अपना ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलित, पिछड़े, महिला इत्यादि सभी को न्याद दिला दिया था ।
तो वो अपना खुद का तो कर ही सकते है
बाबासाहेब ने कहा था कि शिक्षा उस शेरनी का दूध है जो पिएगा वो जरूर दहादेगा
शिक्षा से बड़ा गरीबी भगाने का कोई हथियार है ही नहीं
अनपढ़ लोग आधे से ज्यादा को तो पता नहीं होने के कारण योजनाओं का से लाभ नहीं उठा सकते और कोई लेते है तो उसमें भी कमिशन चला जाता है और कारण बस एक ही है अशिक्षा 
गरीब और गरीब होता जाता है, अमीर और अमीर होता जाता है और मिडिल क्लास बीच में पिचता रहता है
जय भारत

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Jai bhim
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